कहानी एक अच्छी /kahani ek achhi

  कहानी एक अच्छी  पाठ- 2 एक रोहित नाम के लड़के की कहानी है, जिसे एक बुक अपने घर के स्टोर रूम से मिलता,जिसे उसके दादा जी ने जंगल में एक पैड के नीचे से उठता है, और मरने से पहले उसे स्टोर रूम मैं छुपा देता है, ताकि उसे कोई न छुए रोहित की मम्मी जब स्टोर रूम मैं कुछ पुराने पुस्तको को रख देती है, तब उस पुराने बुक  मैं से कहानियों की पुस्तक उठाने के लिए रोहित जाता है, जहा।  पर रोहित को एक ऐसे बुक मिलता है, जिसे कोई भी इंसान खोलता है,तो भविष्य में जा कर वापस आजाता है।रोहित उस पुस्तक को खोल के देखता है, जहा लिखा रहता है, भविष्य में जाने के लिए  आपका welcome है, और रोहित भविष्य मैं चला जाता है, जहा रोहित को दिखता है, की वो जिस सायकल से स्कूल जाने वाला था उस सायकल को उसके स्कूल में उसी के दोस्त हवा निकाल देते है, और भाग जाते है। तब रोहित अपने सायकल को देख कर बहुत परेशान हो जाता । वो सोचता है, अब कैसा करूँगा बहुत दूर है घर पैदल ही घर जाना पड़ेगा। फिर भविष्य से वापस आ जाता है। और देखता है, की वो स्टोर  रूम मैं खड़ा है, तुरन्त किताब को बंद कर देता है । और कहानी पुस्तक उठाकर...

एक मां की दुख भरी कहानी

एक माँ की दुःख भरी कहानी


 एक माँ जो एक बच्चे को जन्म
देती है। उसका ख्याल रखती है। उसे हर तकलिप से दूर रखती है। उसे चलना सिखाती है। बोलना सिखाती है।उसे  भूख लगने से पहले खाना खिलाती है। उसे कोई तकलिप न हो 24 घण्टे उसका देख भाल में लगी रहती है। उसे अच्छे बुरे का पहचान करती है।
माँ की दुःख भरी कहानी


एक माँ ही होती है। जो अपने बच्चे के सुख दुख मैं साथ निभाती है। जब बच्चा बीमार पड़ता है। तो माँ ही दिन रात अपने बच्चे के लिए जगती रहती है। एक माँ ही होती है।अपने गेहरी नींद को तोड़ कर अपने बच्चे का देख भाल करती है। जब बच्चे का बहुत ज्यादा तबियत खराब होता है। तो माँ ही होती है ।अपने बच्चे के लिए रात दिन भगवान से प्राथना करते रहती है । की मेरा बच्चा ठिख हो जाए अच्छे से खाना खाये चंगा भला हो कर खेलने लगे भगवान से प्राथना करते रहती है माँ के जैसा कोई नही।


माँ अपने बच्चे को बिना पति के रहते  भी । लालन पालन कर


 लेती है। दुसरो के घर मैं बर्तन मांज कर अपने बच्चे का पेट भर लेती है। अपने आपको भूखे रख कर भी अपने बच्चे का पेट भर लेती है। अपने बच्चे को पढ़ाने के लिए दिन रात काम करती है। पर अपना  तबियत कभी नही देखती की उनको बुखार है। या नही तेज बुखार भी अगर हो तब भी अपने बच्चे के लिए दुसरो के घर मैं काम करने जाती है


पर बेटा कभी ये नही सोचता की उसकी माँ किन परिस्थितियों मैं उसका पालन पोषण करती है। बस वो ये सोचता है। की वो खा पी कर जी रहा है। अच्छे से

जब लड़के का शादी हो जाता है तो उस समय लड़का अपने


 बीबी का गुण गाता है। उसकी बीबी जो बात बोल दे वो पत्थर की लखिर हो जाता है। उसकी खुसी के कारण लड़का अपनी माँ को चमकाने लगता है। अगर बीबी का तबियत थोड़ा खराब हो जाए तो उसे हॉस्पिटल तुरान ले के चले जाते है। और सर पे हाथ रख कर सैहलाते हुए प्यार  से उसे पूछते है। की जान अब कैसा है।

 तबियत तुम्हारा और माँ का तबियत खराब हो तो कभी प्यार 


से नही पूछते की माँ तुम्हारा तबियत कैसा है। तुम कैसी हो जब ज्यादा तबियत खराब होता है। तो उस समय अपनी माँ के पास बैठ कर पूछते है। माँ खाना खा लिए किया हॉस्पिटल चलोगे क्या। बहु की बात ही अलग है। वो सोचती है। मैं अपनी सास की सेवा कियूँ करूँ वो अपना खुद कर सकती है। मैं अपने पति के लिए आई हु उनके लिए नही जो उनकी सेवा करूँ।


जब माँ का हाथ पेर चलना बन्द हो जाता है। तो बहुत से बेटे अपनी बीबी के कहने से अपनी माँ को विद्धा आश्रम  छोड़ देते है। जो माँ  अपने बेटे को जन्म देती है। कितनी तकलीफ के साथ वही बेटा आज अपनी माँ की सेवा की पारी आती  है। तो उसे विद्धा आश्रम भेजने के बारे मैं सोचता है?


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