एक गाँव में एक राजा था अपने आप को बहुत ही होशियार
समझता है। ओर बहुत ही सुंदर समझता है।उसके राज मैं हर कोई उसकी सुंदरता का तारीफ करे उसकी प्रसंशा करे उसके बारे मे ही हर जगह चर्चा हो वो यही चाहता है। उसकी ये आदत के विषय में दूसरे राज्यों मैं गाँव भी फेहल जाता है। जिसके कारण कुछ डाकू को पता चलता है। कि एक राजा है जो अपने विषय मैं सिर्फ प्रसंशा ही सुना चाहता है सोचकर
डाकू अपना भेस बदल कर उस राज मैं पहुच जाते है। और
राजा के बारे में जानकारी पाने के लिए अपने एक साथी को चुपके से राजा के सेना बना कर भेज देते है ताकि उस राजा के बारे मे पता कर सके कि उसे क्या पसन्द है क्या खाता है क्या करता है। इन सब की जानकारी पाने के लिए अपने दाल से एक व्यक्ति को भेजता है। तब पता चलता है की डाकुओ को कि राजा गांजा है उसके सर मैं बाल नही है।
और गाँव के मेले मैं आ रहे है। तब एक होसिया डाकू अपने
दल के साथियों को बोलता है। कि जल्दी से वह मैले मैं एक तम्बू लगाओ और बालो का 3-4 मुकुट वहा रखो मैं जैसा कहु वैसा करो मैं जैसा कहु वैसा तुम बोलो और बेनर मैं लिखा देता है। जो भी व्यक्ति होशियार है। उसे ही हमारा बालो का मुकुट दिखेगा और जो मूर्ख व्यक्ति है। उसे नही दिखेगा। ये बात गाँव में आग की तरहा फेहल जाता है।
उसे देखने के लिए बहुत से लोग जाते है। तब राजा को ये बात
पता चलता है कि मेले मैं बालो का मुकुट मिल रहा है। और जो होसिया व्यक्ति है उसे ही दिखेगा ओर जो मूर्ख व्यक्ति है। उसे नही दिखेगा। ये बात सुन कर राजा को बहुत ही खुसी होती है कि कोंन सी ऐसी मुकुट है जो मूर्ख व्यक्ति को नही दिखता सिर्फ होशियार को ही दिखता है। तब राजा सवयं मेले मैं जा कर देखता है। की क्या सच है क्या झूट
जब मैले मैं राजा अपने सेना पति और सेना के साथ जाता है।
तब वो देखता है कि वहा एक बेनर मैं लिखा रहता है कि जो भी होशियार व्यक्ति है उसे ही दिखेगा और जो मूर्ख व्यक्ति है। उसे नही दिखेगा। राजा और उसके सेना उसे पढ़ लेते है। तभी डाकू के मैन सरदार आता है। और राजा को कहता है महामहिम आप अन्दर आये और सम्मान के साथ राजा को अन्दर ले के जाते है। और सेना पति को भी और सेना पति और राजा को वो चमत्कारी बालो का मुकुट दिखाने से पहले कुछ प्रशन पूछते है महामहिम आप नाराज मत होना ये बहुत ही जरूरी है। जो भी इसे अपने सर पर
धारण करेगा वो होशियार होना चाहिए आपतो बहुत होशियार
है। आप जबाब देदेंगे इस लिये आपको एक प्रशन है राजा का कर्त्तव्य क्या है।महामहिम राजा कहता है राजा का धर्म प्रजा का दुखो का निवारण करना प्रजा को अस्वाशन देना उसका ख्याल रखना तब राजा को औऱ एक प्रशन पूछते है। चोर और डाकू मैं क्या अंतर है। तब राजा सोचता है क्या ये हमे मूर्ख समझ रहा है। जो प्रशन
सरल-सरल पूछ रहा है। तब राजा गलत जबाब देता है। चोर
ओर डाकू एक ही होता है चोर चोरी करता है और डाकू भी चोरी करता है। तब डाकू उसे गलत जबाब है। महामहिम कहता है। और डाकू के सह पट्टी सभी मुकुट को छुपा देते है। और राजा को कहते है। महामहिम अब आप को ये बालो का मुकुट दिखाई दे रहे है। क्या तब राजा अपने पीछे मुड़ कर देखता है। और कहता नहीं तब राजा को वो मुकुट डाकू देदेते है। जो है ही नही और बाहर एक डाकू आकर कहता है
राजा मुकुट अपने हाथों से पकड़ कर ला रहे है। जो भी मूर्ख है
वो यहा से जल्दी चले जाओ वरना राजा उसे मूर्ख समझकर उसे अपने राज्य से बहार निकल देंगे जब सेना पति ये बात सुनते है तब सेना पति के पास जा कर कहते है सेना पति क्या आपको मेरा बालो वाला मुकुट दिखाई दे रही है। तब सेना पति डर कर हा कह देता और जितने सेना थे वो भी डर के कारण हा कहते है। फिर राजा उन बहरूपियों को
कहते है। आप हमे ये मुकुट कितने मैं देंगे तब डाकुओ के
सरदार कहते है। नही महामहिम ये आप लेलो हम आपसे कैसे मुद्रा ले सकते है। तब राजा कहते है। नही हम आपको 1000 सोने के मुद्रा देते है। और एक दिन के लिए आप हमारे राज महेल मैं मेहमान बन कर रह सकते है। तब डाकू राजा का बात मान कर रहने लगते है और एक अफवा फेहला देते है। की पूरे राज्य मैं जिस किसीको राजा का बालो वाला मुकुट नही दिखता उसका सर कलम करने का
आदेश मिला है। तब राज्य के सभी प्रजा गण्ड डर जाते है। और
राजा जब भी महल से बहार निकलते तब प्रजा गण्ड डर के मारे प्रसंशा करने लगते है। पर एक बच्चा हस पड़ता है और चिल्ला - चिल्ला के कहता है राजा जी मुंडन है। राजा जी मुंडन है। कहता है और एक पत्थर के टुकड़े से फेकर मरता है। जिसे राजा जी का सर फट जाता है। और खून निकलता है।जिसके कारण सेना उस बच्चे को पकड़ लेते है। तब उस बच्चे की माँ कहती है। मेरा बच्चा सही कह रहा है। राजा जी को मूर्ख बना रहे है ये मेहमान और राजा जी उनकी बात मान कर मूर्ख बन रह है।ये बात सुन कर सेना पति उस बच्चे की माँ
Comments
Post a Comment