कहानी एक अच्छी /kahani ek achhi

  कहानी एक अच्छी  पाठ- 2 एक रोहित नाम के लड़के की कहानी है, जिसे एक बुक अपने घर के स्टोर रूम से मिलता,जिसे उसके दादा जी ने जंगल में एक पैड के नीचे से उठता है, और मरने से पहले उसे स्टोर रूम मैं छुपा देता है, ताकि उसे कोई न छुए रोहित की मम्मी जब स्टोर रूम मैं कुछ पुराने पुस्तको को रख देती है, तब उस पुराने बुक  मैं से कहानियों की पुस्तक उठाने के लिए रोहित जाता है, जहा।  पर रोहित को एक ऐसे बुक मिलता है, जिसे कोई भी इंसान खोलता है,तो भविष्य में जा कर वापस आजाता है।रोहित उस पुस्तक को खोल के देखता है, जहा लिखा रहता है, भविष्य में जाने के लिए  आपका welcome है, और रोहित भविष्य मैं चला जाता है, जहा रोहित को दिखता है, की वो जिस सायकल से स्कूल जाने वाला था उस सायकल को उसके स्कूल में उसी के दोस्त हवा निकाल देते है, और भाग जाते है। तब रोहित अपने सायकल को देख कर बहुत परेशान हो जाता । वो सोचता है, अब कैसा करूँगा बहुत दूर है घर पैदल ही घर जाना पड़ेगा। फिर भविष्य से वापस आ जाता है। और देखता है, की वो स्टोर  रूम मैं खड़ा है, तुरन्त किताब को बंद कर देता है । और कहानी पुस्तक उठाकर...

एक पिता की रियल कहानी पाठ -10






पापा आप कैसे हो ठीक हूँ। बेटा , भोली ऐसे कैसे पापा पता नही बेटा, उसके माँ को सिकलिंग है। वो गोली खाती  है,  सिकलिंग का और भोली भी खाती है। पर अभी वो नही खा रही थी। सिकलिंग का गोली भोली को  4 साल के उमर से सिकलिंग है। पर एशा कभी नही देखा था आज देख रहा हूँ। बेटा इसे , वो तो मुझे भी पता है, की माँ को है। पर भोली को। इतना ज्यादा होगा । पता नही था?



क्या पापा मुझे ,और रीता और रानी ,को भी है क्या।सिकलिंग नही बेटा तुम लोगो को नही है।भोली को बस है। तुम लोग ठीक हो अच्छा माँ का और भोली का खयाल रखना पापा,  तभी रानी को देख कर कुसूम आवाज लगाती है। रानी इधर आना, आई  दीदी  क्या हुआ दीदी तू और पापा 



माँ और बेहेन दोनो, का ध्यान देना ज्यादा, काम मत करने देना तुम्हे घर मैं एक माँ, का और एक बड़ी,बेहेन  का रोल करना पड़ेगा, पर दीदी मेरी बेहेन अभी कमजोर नही है । और मेरी माँ भी कमजोर नही है।जितना उनको आराम मिलेगा उतना ही बीमार पड़ेंगे ok दीदी अच्छा दीदी बाबू को मुझे दो और आप माँ के पास जाओ। और माँ का हाथ बटाओ 


अमन कुसूम को बोलता है। मैं अभी आ रहा हूँ। पापा के साथ मार्केट से, अच्छा जा रहे हो तो बच्चे के लोए हगीश, ले के आना ok,  फिर कुसूम अपने माँ के पास जाती है। और गले लग कर बोलती है। माँ अब में आ गई हूँ। अब आप जाके भोली के साथ बैठो, माँ मैं खाना बनाती हूँ। ok माँ


अमन अपने ससुर को पूछता है। पापा भोली को ये कब से है। 4 साल के उमर से है। पर ये जो हुआ है। पहले कभी नही हुआ था । नही बेटा आज मेरी बच्ची का नया जान बचा है। मैं अपने भगवान से प्राथना करता हूँ। कि अब कभी ऐसा न हो । और  पापा कुसूम को भी है।क्या नही बेटा   पर जब तुम कुसूम को सोनोग्राफी कराए थे तब क्या पता चला बेटा नही पापा कुछ नही था तो नही है। बेटा

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