कहानी एक अच्छी /kahani ek achhi

  कहानी एक अच्छी  पाठ- 2 एक रोहित नाम के लड़के की कहानी है, जिसे एक बुक अपने घर के स्टोर रूम से मिलता,जिसे उसके दादा जी ने जंगल में एक पैड के नीचे से उठता है, और मरने से पहले उसे स्टोर रूम मैं छुपा देता है, ताकि उसे कोई न छुए रोहित की मम्मी जब स्टोर रूम मैं कुछ पुराने पुस्तको को रख देती है, तब उस पुराने बुक  मैं से कहानियों की पुस्तक उठाने के लिए रोहित जाता है, जहा।  पर रोहित को एक ऐसे बुक मिलता है, जिसे कोई भी इंसान खोलता है,तो भविष्य में जा कर वापस आजाता है।रोहित उस पुस्तक को खोल के देखता है, जहा लिखा रहता है, भविष्य में जाने के लिए  आपका welcome है, और रोहित भविष्य मैं चला जाता है, जहा रोहित को दिखता है, की वो जिस सायकल से स्कूल जाने वाला था उस सायकल को उसके स्कूल में उसी के दोस्त हवा निकाल देते है, और भाग जाते है। तब रोहित अपने सायकल को देख कर बहुत परेशान हो जाता । वो सोचता है, अब कैसा करूँगा बहुत दूर है घर पैदल ही घर जाना पड़ेगा। फिर भविष्य से वापस आ जाता है। और देखता है, की वो स्टोर  रूम मैं खड़ा है, तुरन्त किताब को बंद कर देता है । और कहानी पुस्तक उठाकर...

चमत्कारी झाड़ू की कहानी

एक चमत्कारी झाड़ू की कहानी


एक गाँव में एक कुसूम नाम की एक लड़की रहती थी। वो 14 साल की लड़की थी। पढ़ाई मैं तेज रहती है। सब का बात मानती थी। सभी का वो बहुत इज्जत भी करती थी। गाँव के सभी से बात करती थी। गाँव वालों की वो लाडली थी। जब भी किसीके घर अगर चुला नही जलता है। तो वो लड़की गांव के सरपंच से बात करती है। कि 2 दिन से मोहन के घर मैं खाना नही बना है। उनका तबियत भी ज्यादा खराब है। सरपंच जी आप तो इस गाँव के सरपंच हो। 
Chamatkari jhadu


आप को कुछ करना चाहिए,न उस बेचारे मोहन चाचा, के 


लिए ।बेटा क्या करूँ तू बता आप इस गाँव के सरपंच है। यहा जो भी मुसीबत आता है। उसे आप ओर गाँव के लोगो के साथ मिल कर आप दूर करते है। तो मोहन चाचा के परिवार वालो का  मदत ,क्यों नही करते इस तरहा हर किसी की मदत करने वाली बन गई थी।


एक दिन कुसूम को उसकी माँ झाड़ू खरीद ने के लिए दुकान 


भेजती है। कुसूम दुकान से झाड़ू खरीद करला रही थी। तभी जोरो से अंधी तूफान आने लगता है। जिसके कारण कुसूम एक बड़े से पेड़ के पास छुप जाती है। उसी वक़्त आसमान से चमत्कारी झाड़ू कुसूम के पास गिरता है। ओर अंधी तूफान  बन्द हो जाता है। तभी कुसूम  को लगता है कि ये झाड़ू उसका है। जिसे कुसूम घर ले के जाती है। और अपने माँ को देदेती है।


उसकी माँ उस झाड़ू से घर में झाड़ू लगती है। तो कुछ 


नही होता है। पर उसकी लड़की कुसूम कोने मैं कचरा देख कर उसे निकलने लगती है। तो 1000 /-1000/- रुपया का 10 नॉट निकलता  है। तभी कुसूम अपनी माँ को अबाज लगती है। माँ ये पैसा किसका है। 1000/- रुपय का बहुत सारा पैसा किसका है।  कोन सा पैसा ये इधर है। माँ तभी उसकी माँ केहती है। तुम्हारे पापा को पूछती हु। कुसूम की माँ पूरा पैसा उठा लेती है। और कुसूम को जा बेटा अपने रूम मैं झाड़ू लगाले वो बहुत गन्दा है।



तभी कुसूम अपनी माँ की बात मान कर अपने रूम की


 सफाई करने लगी वहा भी ढेर सारा पैसा मिलता है। जिसे कुसूम को लगता है कि ये मेरा झाड़ू जादुई झाड़ू तो नही है। जहाँ झाड़ू लगती हु वही पैसा मिलता है। उस पैसे को उठा कर वो दूसरे कमरे में झाड़ू लगाने जाती है। वहा भी ढेर सारे पैसे  मिलते है। उस पैसे को उठा कर कुसूम मोहन चाचा के घर जा कर दे देती है। और केहती आपके घर के पास ये पोटली पड़ा था ओर इस पोटली के पास कोई नही था। क्या ये आपका है। नही तो आप देख लो  चाचा कुसूम कह कर चली जाती है।


तभी मोहन उसे देखता है। कि उस पोटली मैं ढ़ेर सारे पैसे 

है।वो सोचता है। कि वो किसी गरीब का होगा जो अपनी बेटी का शादी के लिए रखा होगा । या किसी मरीज का इलाज के लिए कोई रखा होगा । जो यहा भूल गया होगा। अगर वो इंसान यहा उस पैसे के लिए आएगा। तो में उसे ये पैसा लोटा दूंगा। अगर नही आएगा तो मैं ये पैसा सरपंच जी को दे दूंगा वो समाज बैठाएंगे और ये जिसका होगा सरपंच उसे देदेगा 

उसी वक़्त कुसूम के मन मे भी यही बात आया कि मोहन


 चाचा बहुत ईमानदार इंसान है। वो ये पैसा किसका है। बोल कर देदेगा मैं जा कर बात करती हूं। फिर कुछ देर के बाद कुसूम मोहन चाचा के पास पहुंच जाती है। और क्या चाचा कैसे हो अच्छा हूँ। बेटा,  अच्छा बेटा ये पोटली जिसका है। उसे लोटा देते है। किसका है। और कौन दिया ये आपको तुम ही तो दिए बेटा क्या मज़ाक कर रहे हो चाचा मैं आपसे कब मिली मैं तो अभी आई सायेद आप सपना देख रहे थे।


क्या ये तुमने नही दिए बेटा नही चाचा मैंने नही दिया चाचा


 मैं तो अभी आई। तब उसके घर वाले भगवान जी सवयं,आये थे हमारी मदत करने फिर भगवान को सब के सब सुक्रिया करते है। फिर कुसूम वहा से चलदेती है।
फिर एक दिन  कुसूम ओर उसकी माँ और पापा एक शादी मैं गए रहते है। वहा दुल्हन का पूरा जैवर चोरी हो जाता है।

जिसके कारण लड़की के घर वाले बहुत परेसान हो जाते है।

ओर रोने लगते अब क्या होगा अभी 1 घण्टे मैं बरात आजायेगी अब क्या करे। तभी कुसूम अपने घर जाती है और वो चमत्कारी झाड़ू से कहती है कि मुझे दुल्हन का पूरा जैवर चाहिए सोने का तभी पूरा सोने की जैवर मिलता है। और कुसूम उस जैवर को लेके दुल्हन के कमरे में रख देती है।


कुसूम दुल्हन के साथ कमरे मे जाती है। जहाँ वो सोने का 


जैवर था। फिर कुसूम केहती है , की ये क्या है। दीदी तुम्हारा जैवर यहा पड़ा है। तभी दुल्हन अपने मम्मी पापा को आवाज लगती है। कि माँ जैवर मिल गया। तब उसके मम्मी पापा दौड़ के आजाते है और देखते है। कि सच में जैवर वहा पड़ा था। जब चेक करते है तो पता चलता है कि वो जैवर तो उनके नही है। पर उसे ज्यादा सुंदर था। इस प्रकार कुसूम समाज सेवा करने लगी उस चमत्कारी झाड़ू से

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